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"समर्पण"
ॐ !! वंदे गुरु परंपराम् !! ॐ
पूज्य गुरुदेव कहते हैं कि जैसे मकान (भवन) बेच देने से मालिक होने की भावना बदल जाती है, मालिक-मालिक नहीं रहता, हमारा लगाव समाप्त हो जाता है! वैसे ही शरीर (देह) का स्वरूप में समर्पण कर देने पर (यथार्थ बोध/ विवेक/ ज्ञान) हो जाने पर " मैं देह नहीं आत्मा हूँ" (शिवोहम) से मानसिक अवस्था बदल जाती है। यह जीवन देहोहम से शिवोहम की यात्रा है। किराये के मकान में या यात्रा में जितना कम सामान उतना ही सुखी इन्सान।
ॐ शांति शांति शांति !!