"वेदान्त का उद्देश्य"
ॐ !! वंदे गुरु परंपराम् !! ॐ
पूज्य गुरुदेव कहते हैं कि वेदान्त हमें गुमराह करने की विद्या नहीं है। यह जीवन को सुधारने और बेहतर बनाने के लिए है। इसका इस्तेमाल हमेशा अच्छे कामों के लिए करना चाहिए, बुराई के लिए नहीं। जैसे एक हथियार का इस्तेमाल कोई अपनी रक्षा के लिए करता है और वही हथियार कोई चोरी या डकैती में भी इस्तेमाल करता है, वैसे ही वेदान्त को सही तरीके से उपयोग करना जरूरी है।
वेदान्त का असली मकसद हमें आत्मनिष्ठ बनाना है, यानी हमें अपने भीतर की ओर ध्यान देना सिखाना है। यह हमें बाहरी चीजों के आकर्षण और उनसे होने वाले दुखों से छुटकारा दिलाता है। इसका मतलब यह है कि हमें अपनी इंद्रियों, मन और बुद्धि के अधीन नहीं रहना चाहिए।
त्याग और संयम का महत्व
त्याग का मतलब है कि हम अपनी जरूरतों को सीमित करें। जैसे अगर लोग दस कपड़े रखते हैं, तो हम दो कपड़ों में काम चला लें। अगर लोग दिनभर खाते हैं, तो हम केवल दो बार खाकर संतुष्ट रहें। कम चीजों का इस्तेमाल करना ही त्याग और संयम है। यह हमारे जीवन में साधारणता और आत्म-नियंत्रण लाता है।
जो लोग कम खाते हैं, साधारण जीवन जीते हैं, उन्हें हम त्यागी और संयमी मानते हैं। यह त्याग और संयम हमें सिखाता है कि कैसे अपनी इच्छाओं और जरूरतों पर काबू पाया जाए।
सच्चा संयम
सच्चा संयम दिखावे से अलग है। जैसे अगर आपके सामने बहुत सारा खाना है, तो जरूरत से ज्यादा न खाएं। जितना जरूरी हो, उतना लें और बाकी दूसरों को दें। इसी तरह, अपने इंद्रियों के सुख को नियंत्रित करना चाहिए।
अगर आपके पास बहुत पैसा है और आप इसे अपनी सुख-सुविधाओं पर खर्च करते हैं, तो यह बुरा नहीं है। लेकिन यह समझें कि साधारण चीजों से भी काम चल सकता है।
इंद्रियों पर नियंत्रण
इंद्रियों के सुख में फंसकर अपनी जिम्मेदारियों को भूलना गलत है। उदाहरण के लिए, अगर आपके घर में लोग भूखे हैं और आप बाहर संगीत का आनंद ले रहे हैं, तो यह असंयम है। संयम का मतलब है कि हम विवेक से सोचकर चीजों का इस्तेमाल करें।
मुक्ति का रास्ता
संयम और त्याग से हम तुलना में स्वतंत्रता पाते हैं। इसका मतलब है कि हमारी इच्छाएं और इंद्रियां धीरे-धीरे हमारे नियंत्रण में आ जाती हैं। जो व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण कर लेता है, उसे सच्चा स्वामी कहा जा सकता है।
वेदान्त हमें यह सिखाता है कि बाहरी चीजों के मोह से कैसे बचें और अपने जीवन को संतुलित और सुखद बनाएं।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः !!
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