Total Blog Views

Translate

गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

"स्वरूप सदा ही चेतन और अपरोक्ष"


"स्वरूप सदा ही चेतन और अपरोक्ष"

ॐ  !! वंदे  गुरु परंपराम् !! ॐ

हमारे गुरू महाराज एक दृष्टान्त दिया करते थे। एक राजा ने तोता पाला हुआ था। वह बीमार पड़ गया। राजा को तोते के प्रति बहुत आसक्ति थी। वह तोते को बहुत प्यार करता था। राजा ने नौकरों से यह कहा कि 'तोता बीमार है; उसका ख्याल रखना। गड़बड़ की जरा-सी भी कोई बात हो, तो मुझे तुरन्त खबर देना। यदि, मर गया और खबर न दी, तो सबको गोली से उड़ा दूँगा।' दूसरी कठिनाई यह थी कि जो भी जाकर तोते के मरने की खबर देगा, उसे तो वह तुरन्त ही मार देगा।

हुआ यह कि तोता रात में ही मर गया। अब, यदि नौकर खबर नहीं देते, तो सब मारे जाएँगे। यदि, खतर देने कोई जाता है, तो वह मारा जाएगा। ऐसी स्थिति में खबर देने जाने के लिए कोई तैयार नहीं था। हर आदमी यही सोचता था कि मरेंगे तो सब मरेंगे; हम अकेले ही क्यों मरने जाएँ। सबको बचाने के लिए कोई भी एक मरने को तैयार नहीं था। सबके साथ मरने के लिए वे सब सहमत थे। वे यह नहीं सोचते थे कि जब सुबह सबको ही मरना है, तो एक ही मर ले; बाकी सब तो बच जाएँगे ।

उनमें एक बूढ़ा नौकर भी था। लोगों ने उससे कहा कि तुम बूढ़े हो; वैसे भी दो-चार-दस दिन में मरने वाले हो; क्यों न तुम ही चले जाओ और बाकी सबकी जान बचा लो? बूढ़ा आदमी जाने के लिए राजी हो गया। वह समझदार भी था। वह गया। वहाँ जाकर उसने दरवाजा खटखटाया । राजा साहब एक दम उठ बैठे। नौकर रात में ही पहुँचा था, तो राजा साहब जान गए कि तोता मर गया है। फिर भी राजा साहब ने उससे पूछा कि वह क्यों आया है? क्या बात है? क्या तोता ज्यादा बीमार है? क्या तोता मर गया है? नौकर चुप खड़ा रहा, उसने कोई जवाब नहीं दिया।

राजा साहब ने नौकर से कहा कि बोलता क्यों नहीं है? क्या बात है ? क्या तोता मर गया है ? फिर भी नौकर कुछ नहीं बोला। अब राजा साहब ने डाँटकर कहा कि बोलता क्यों नहीं है ? तो नौकर ने कहा कि 'मैं नहीं बोलता; पर, आप जो कह रहे हैं; बात वही है। बात वही है, जो आप कह रहे हैं; पर, मैं अपनी जबान से यह नहीं कहूँगा। वैसे तो आप जानते ही हैं'।

श्रुति कहती है कि 'हम अपनी जबान से क्यों कहें कि तुम ही बह्म हो; तुम ही चेतन हो और तुम ही अविनाशी हो'। श्रुति कहती है कि 'हम अपनी जबान से नहीं कहना चाहते कि तुम आत्मा हो'। आत्मा क्या है और क्या नहीं है; वह ऐसा विश्लेषण नहीं करती। लेकिन, आप यह जानो। वहाँ कोई जानने की जरूरत थोड़ी ही पड़ेगी। सबका निषेध कर देने पर, आत्मा का आत्मत्व नित्य अपरोक्ष है, नित्य स्पष्ट है। उसमें अज्ञानता है ही नहीं। स्वरूप तो सदा ही चेतन और अपरोक्ष है।

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः !! 

"To read this blog, click on the link given above 👆."

इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए ऊपर दिए गए 👆 लिंक पर क्लिक करें।

"You can read this blog in any language. All you need to do is click on the translate button provided at the top left corner of the page. By clicking it, you can read it in your preferred language."

आप इस ब्लॉग को किसी भी भाषा में पढ़ सकते हैं आपको बस इतना करना है कि पेज के ऊपर बायें हिस्से में ट्रांसलेट का बटन दिया गया है। आप उसे क्लिक कर के अपनी मनपसंद भाषा में इसे पढ़ सकते हैं।


Kindly follow, share, and support to stay deeply connected with the timeless wisdom of Vedanta. Your engagement helps spread this profound knowledge to more hearts and minds.


#vedantaphilosophy #AdiShankaracharya #advaita #advaitavedanta #hinduism #hindu #sanatan #sadhanapath #sadhanpath #sadguru #meditation #swamiparamanand #swamiparmanandgiri #yugpurush #swami #VedantaWisdom #yugpurushswamiparmanandgiri  #sadhanapathofficial  #insight #wise #wisdom #wisdomquotes  #oneness  #humanity  #SpiritualJourney #DivineKnowledge #SacredTeachings #InnerPeace #SelfRealization #TimelessWisdom #ConsciousLiving #SpiritualAwakening