Total Blog Views

Translate

शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025

"हमारा स्वरूप वह है, जिससे सब प्रतीति होती है"


"हमारा स्वरूप वह है, जिससे सब प्रतीति होती है"

ॐ  !! वंदे  गुरु परंपराम् !! ॐ

जिसकी उपस्थिति में यह बुद्धि और इन्द्रियाँ आदि अपने-अपने विषय को जानती हैं; जिसकी सत्ता से आँखें देखने में और कान सुनने में समर्थ हैं; जिसके द्वारा और जिसकी उपस्थिति में, ये सब जाने जाते हैं; उसको 'तत्' मानें, उस चैतन्यब्रह्म को 'केन' किसके द्वारा जाने। उसे किसके द्वारा जानें ? क्या उसे बुद्धि के द्वारा जानें ? जिस बुद्धि, वृत्ति, अंहकार, निद्रा, तन्द्रा और आलस्य को, ज्ञान रहने को और ज्ञान न रहने को, जिस चैतन्य से ही सिद्ध किया जाता है, वही हमारा स्वरूप है।

'जिस करके सब सिद्ध होत है सोई स्वरूप हमारा है।'

हमारा स्वरूप वह है, जिससे सब प्रतीति होती है। पर, तुम तो देह को ही स्वरूप मानते हो। तुम इन्द्रियों को ही स्वरूप कह देते हो और फिर भी शिवोऽह कहते हो। गजब की बात है। शिवोऽहम् कहना गुनाह नहीं है। लेकिन, जब मैं देह मानकर शिवोऽहम् कहता हूँ, तब गड़बड़ हो जाती है। जिससे सब प्रतीति होती है; जिससे सब अनुभूति होती है; वही हमारा स्वरूप है। जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और समाधि, वृत्ति, विकल्प और विक्षेपः साकार, निराकार, प्रकाश, अन्धकार और इन्द्रियाँ और इनकी सामर्थ्य या असमर्थता; जिससे ये सब मालूम पड़ते हैं, वही हमारा स्वरूप है।

'येनेदं सर्वं विजानाति तं केन विजानीयात् ।'

उसे किसके द्वारा जानना चाहिए? उसको जानना नहीं चाहिए। उसको जानने की भी जरूरत नहीं है; बल्कि, जिससे सब जाना जाता है, उसी चेतन को भगवान् मान लेना चाहिए। उसी चेतन को ब्रह्म जान लेना चाहिए। उस चेतन को ही परब्रह्म मानो। जो जानने में आ जावे, उसे ब्रह्म कहते हो? तुम स्थूल को ही ब्रह्म कहते हो। ये इन्द्रियाँ ब्रह्म नहीं है। जो देखा जाता है, क्या वह ब्रह्म होगा? मन बह्य नहीं है; बुद्धि ब्रह्म नहीं है और अंहकार भी बह्म नहीं है। ये कोई भी बह्य नहीं हैं। तुम कहते हो ये ब्रह्म हैं।

उपनिषद् कहता है-

'यन्मनसा न मनुते येनाहुर्मनो मतम् । 
तदेव ब्रह्म त्वं विद्धि नेदं यदिदमुपासते ।'

मन जिसका मनन नहीं करता। मन से जो महसूस नहीं होता, बल्कि, मन ही जिससे महसूस होता है कि' है'; उसको तुम ब्रह्म जानो। जो यह करके, इदं करके, ज्ञान से जान लिया जाए, उसको ब्रह्म नहीं जानना। आजकल तो जगह-जगह ब्रह्म दिखाया जा रहा है। इधर हरिद्वार में भी ब्रह्म दिखाने का एक अड्डा है।

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः !! 

"To read this blog, click on the link given above 👆."

इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए ऊपर दिए गए 👆 लिंक पर क्लिक करें।

"You can read this blog in any language. All you need to do is click on the translate button provided at the top left corner of the page. By clicking it, you can read it in your preferred language."

आप इस ब्लॉग को किसी भी भाषा में पढ़ सकते हैं आपको बस इतना करना है कि पेज के ऊपर बायें हिस्से में ट्रांसलेट का बटन दिया गया है। आप उसे क्लिक कर के अपनी मनपसंद भाषा में इसे पढ़ सकते हैं।


Kindly follow, share, and support to stay deeply connected with the timeless wisdom of Vedanta. Your engagement helps spread this profound knowledge to more hearts and minds.


#vedantaphilosophy #AdiShankaracharya #advaita #advaitavedanta #hinduism #hindu #sanatan #sadhanapath #sadhanpath #sadguru #meditation #swamiparamanand #swamiparmanandgiri #yugpurush #swami #VedantaWisdom #yugpurushswamiparmanandgiri  #sadhanapathofficial  #insight #wise #wisdom #wisdomquotes  #oneness  #humanity  #SpiritualJourney #DivineKnowledge #SacredTeachings #InnerPeace #SelfRealization #TimelessWisdom #ConsciousLiving #SpiritualAwakening