Total Blog Views

Translate

शनिवार, 7 दिसंबर 2024

"गुरु गीता" (भाग-1)



"गुरु गीता" (भाग-1)

ॐ !! वंदे गुरु परंपराम् !! ॐ

परम पूज्य दादा गुरु श्री श्री 1008 स्वामी अखण्डानन्द जी महाराज एक भजन गया करते थेः- 'विचार करके देखो प्यारे जगत बना है मन से'

लेकिन हम सभी का अनुभव ठीक इसके विपरीत है। हमें लगता है कि हमारा मन जगत् के कारण ही सुखी-दुःखी या खराब हो रहा है। यदि यह जगत् ठीक हो जाये तो हम सब सुखी हो जायेंगे। इस बात को समझने के लिये गुरु की आवश्यकता नहीं है। यह ज्ञान सहज, सरल व स्वाभाविक है। इसलिये हमारे सभी प्रयत्न व क्रिया-कलाप इस स्थूल (भौतिक) जगत् को ठीक करने के लिए ही है।

अध्यात्म या शास्त्रों की भाषा में इसे अविद्या, अज्ञान या माया कहा गया है। जिससे मोहित हुआ व्यक्ति मृग मरीचिका की भाँति इस असत्य भौतिक संसार को ही सत्य मानकर अनादि काल से भटक रहा है। पूर्व जन्म के संस्कारों, अज्ञानता व वासनाओं के कारण यह कलुषित मन-बुद्धि कुछ भी समझने को तैयार नहीं है। फिर इस अशुद्ध-मलिन मन को कैसे निर्मल किया जाये? इस विकट समस्या समाधान करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज कहते हैं- श्रीगुरु चरण सरोज रज, निजमन मुकुर सुधारि।

श्रीगुरु चरणों की पावन रज अर्थात् केवल सद्गुरु की शरणागति ही इस अशुद्ध मन-बुद्धि को शुद्ध करने का एकमात्र अमोघ उपाय है।

मनुष्य एक बौद्धिक प्राणी है और जिज्ञासु स्वभाव से अनादि काल से सृष्टि के रहस्यों का अन्वेषण करता चला आ रहा है। लेकिन परम सत्य या आत्म तत्त्व का बोध केवल सांसारिक बुद्धि से नहीं हो सकता क्योंकि शाश्वत सत्य या परम सत्य मन बुद्धि से अगोचर है। इसलिये परम के जिज्ञासु के पास श्रद्धा रूपी पूँजी का होना आवश्यक है। इसलिये भगवान श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं-
श्रद्धावान लभते ज्ञानम्। 
इस ज्ञान को केवल गुरुकृपा से ही प्राप्त किया जा सकता है। गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज रामचरितमानस में कहते हैं- गुरु बिनु भव निधि तरइ न कोई। जो बिरंचि शंकर सम होई।।

आज की युवा पीढ़ी आधुनिकता, नास्तिकता व कोरी तार्किकता के कारण कुछ ज्यादा ही प्रैक्टिकल हो गई है। वे हर बात पर प्रमाण की बात करते हैं और कहते हैं कि गुरु बनाना क्यों आवश्यक है? क्या गुरु के बिना परमात्मा की भक्ति नहीं हो सकती? आजकल गुरुभक्ति के नाम पर बहुत अंध विश्वास व पाखण्ड फैला हुआ है। इसलिये गुरुओं से दूर रहना ही अच्छा है, आदि-आदि।

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः !! 

(शेष दूसरे भाग में)

Kindly follow, share, and support to stay deeply connected with the timeless wisdom of Vedanta. Your engagement helps spread this profound knowledge to more hearts and minds.

#vedantaphilosophy #AdiShankaracharya #advaita #advaitavedanta #hinduism #hindu #sanatan #sanatandharma #swamiparamanand #swamiparmanandgiri #yugpurush #swami #VedantaWisdom #yugpurushswamiparmanandgiri  #sadhanapathofficial  #insight #wise #wisdom #wisdomquotes  #oneness  #humanity  #SpiritualJourney #DivineKnowledge #SacredTeachings #InnerPeace #SelfRealization #TimelessWisdom#ConsciousLiving #SpiritualAwakening #EternalTruth